महाझुठा...
झूठ का शहर बसाकर..,
अब सुकून के लिए..,
गाँव गाँव ढूँढते हैं..,
बड़े अजीब हैं विकासराव के लोग..,
हाथ मे कुल्हाड़ी लिए..,
छाँव ढूँढते हैं...
अब सुकून के लिए..,
गाँव गाँव ढूँढते हैं..,
बड़े अजीब हैं विकासराव के लोग..,
हाथ मे कुल्हाड़ी लिए..,
छाँव ढूँढते हैं...
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